Thursday, March 20, 2008

A Favorite Song

आज जाने की ज़िद न करो
आज जाने की ज़िद न करो
युंही पहलु में बेठे रहो
यूँही पहलु में बेठे रहो
आज जाने की ज़िद न करो

हाय मार जायेंगे
हम तो
लुट जायेंगे
ऐसी बातें किया न करो
आज जाने की ज़िद न करो
आज जाने की ज़िद न करो

तुम्ही सोचो ज़रा
क्यों न रोकें तुम्हे
जान जाती है
जब उठ के जाते हो तुम
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम

तुम को अपनी क़सम जान-ए-जान
बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की ज़िद न करो
आज जाने की ज़िद न करो

वक्त की कैद में ज़िंदगी है मगर
वक्त की कैद में ज़िंदगी है मगर
चंद घर्रियान यही हैं जो आजाद हैं
चंद घर्रियान यही हैं जो आजाद हैं
इनको खो करर कहीं जान-ए-जान

उम्र भर न तरसते रहो
आज जाने की ज़िद न करो
आज जाने की ज़िद न करो

कितना मासूम और रंगीन है यह समां
हुस्न और इश्क की आज मेराज़ है
हुस्न और इश्क की आज मेराज़ है
कल की किस को खबर जान-ए-जान
रोक लो आज की रात को

आज जाने की ज़िद न करो
आज जाने की ज़िद न करो

यूँही पहलु में बेठे रहो
यूँही पहलु में बेठे रहो
आज जाने की ज़िद न करो

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