जब श्रीष्टि की सारि कायनात बुनी तुमने
में कहाँ था, तुम कहाँ थे
जब, जिस्म से रूह तक थी सिर्फ तुम्हारी ही बातें
जब, जिस्म से रूह तक थी सिर्फ तुम्हारी ही बातें
खुदा जाने!
में कहाँ था, तुम कहाँ थे
बारीश की इक बूंद जब ज़मीं को चूम रही थी,
बताओ --
में कहाँ था, तुम कहाँ थे
बारीश की इक बूंद जब ज़मीं को चूम रही थी,
बताओ --
में कहाँ था, तुम कहाँ थे
अच्छी कविता है हिन्दी में और भी लिखिये।
ReplyDeleteTum PUNE main the aur hum Delhi main the
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