My Days are Counting and Gone
This is my personal blog that chronicles my random thoughts and world around me.
Saturday, August 25, 2007
Ek Nazm...
ख्वाब-नगर है आँखें खोलें देख रहा हू
उसको अपनी जानिब आते देख रहा हूँ
मंज़र मंज़र वीरानी ने जाल ताने हैं
गुलशन गुलशन बिखरे पत्ते देख रहा हूँ
किस की आहट कार्य कार्य फैल रही है
दीवारों के रंग बदलते देख रहा हूँ
दरवाज़े पर तेज़ हवाओं का पहरा है
घर के अन्दर चुप के साए देख रहा हूँ
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